Nikhil Kumar
@nikhil5155 · 1:20
Khood ki khoj- Past life
जाग कर न जाने किस सोच में रहता हूँ। जागता हुआ। रात में। कभी। खुद की खोज में रहता हूँ। अक्सर ये होता है? मिल जाता हूँ खुद से। अक्सर ये होता है? मिल जाता हूँ। खुद से। दूसरे ही पल। न जाने किस। और मैं रहता हूँ। 1 न। 1 दिन ढूंढ ही लूंगा। खुद को। बस। इस सोच में। हर रोज में रहता हूँ। बस इस सोच में। हर रोज में रहता हूँ। आई होप आपको? यह पसंद? आएगी? थैंक? यू।
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:45
और इंसान को समझ में आ जाता है कि उसके वजूत का कारण क्या है? और वह क्यों है? और ऐसा वो क्यों है? तो उसको बहुत अच्छे शब्दों में भी। रोया। बहुत अच्छी कविता थी।
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