बसन बटोरी बोरी बोरी तेल तमीचर खोरी खोरि धाई बांध है ढीले लात के घात हे हे कुर हैं बाल कारी तारी छे लागे बाजत निशान ढोर तूर हैं बालदिबहनलागी ठौर ठौर दिनियागी बिंद की दवारी कैंदों कोटि सत सूरह राक्षस लोग गली गली दौड़ कर कपडे बटोर कर और उन्हें तेल में डुबा डुबा कर आकर हनुमान जी की पूछ में बांधते हैं, वैसे ही हनुमान जी भी, खिलाड़ी भी डरते हुए से शरीर को ढीला कर करके उनकी लातों के आवास सहन करते हैं और मन ही मन कहते हैं कि ये सब कायर हैं, बालक किलकारी मारकर ताली बजा बजा कर गाली देते हुए पीछे लगे हैं तथा नगाड़े ढोल और तुरही बजाए जा रहे हैं, उस बढ़ने लगी है और राक्षसों ने उसमें जहाँ तहाँ आग लगा दी है, जिससे वह ऐसी जान पड़ती है।