Manish Singh
@netkingmanish · 1:09
Kuch Unkahi Baatien | mujhe darr lgta hai
तो नमस्कार दोस्तों ये मेरा पहला पॉडकास्ट है और जो मैं बताने वाला हूँ वो शायद 2 ही लाइन का है। बट अक्सर आपने फील किया होगा या आपके साथ भी होता है कि जब भी किसी ने मुझसे यह कहा कि सुनो कुछ बात करनी है तो मुझे 1 डर सा लगा। और ये जो डर है यह आपको भी लगा होगा। या फिर आपने भी महसूस किया होगा।
तो अगर वो बात करना चाहता है? तो 1 गोड साइन? क्योंकि कहीं न कहीं वो रिश्ता बचाने की कोशिश कर रहा होता है। और फिर निर्भर करता है। हम पे। हमारे रिप्लेस पे कि हम उनकी बातों को किस तरह से रहे हैं? आगे की सिचुएशंस क्या होंगी? पर डेफिनिटली सुनो कुछ बात करनी है? ये हर किसी को डराता है। मैं काफी हद तक भी ले कर पा रही हूं। थैंक यू।
Manish Singh
@netkingmanish · 1:14
थैंक? यू सो? मच प्रज्ञा जी? कि आपने टाइम निकाला? और मेरे पोडकास्ट को सुना? और उसपे अपना फीडबैक न रिप्लाय दिया। बिल्कुल सही बात है कि सामने वाला इंसान 1 बार बात करना चाहता है? भले? वो बात आखिरी हो सकती है? बट? एट। लीस्ट सही बात है कि कहीं न कहीं 1 तरह से अपरेजिबल है कि हां? वो बात करना चाहता है और अपनी बात कहना चाहता है। क्योंकि बहुत टाइम ऐसा होता है कि लोग सीधे बात करना ही बंद कर देते हैं और इग्नोर करने लगते हैं। तो ये बहुत अच्छी चीज है। एटलीस्ट?