ऐ बादल तू कहाँ कहाँ भटकता है, कभी आसमान में, कभी बारिश सा बरसता है, कहीं सुखी जमी को प्यार बनकर भिगोता है और कभी बूंद बूंद का समंदर बना कर आलिंगन करता है। नर्म होकर भी बिजली का सहारा है। काली घटा में भी उम्मीदों का बहाना है।
ऐ बादल तू कहाँ कहाँ भटकता है, कभी आसमान में, कभी बारिश सा बरसता है, कहीं सुखी जमी को प्यार बनकर भिगोता है और कभी बूंद बूंद का समंदर बना कर आलिंगन करता है। नर्म होकर भी बिजली का सहारा है। काली घटा में भी उम्मीदों का बहाना है।