N M
@Nehakesaath · 4:07
"Munshi Premchand" "Band Darwaaza" #shortstories
उसकी वह व्यस्तता ततछणलुप्त हो गई। उसने फाउंट को फेंक दिया। और रोता हुआ? दरवाजे की तरफ चला। क्योंकि दरवाजा बंद हो गया था। बहुत बहुत शुक्रिया। आप सभी। का मुझे सुनने के लिए। अपने विचार। इस कहानी पर जरूर दे। मुझे मुझे। बहुत खुशी होगी। आप सबके विचार। इस कहानी पर जानकर। बहुत बहुत शुक्रिया।
कितना प्रॉब्लम? फेस करती है? कितना रोती है? कितने चैलेंज का सामना करते हुए आगे बढ़ती है? ऐसी स्टोरी है? जिसे पढ़ने के बाद हमें ऐसा लगता है कि हम उससे उसके साथ कंपेयर किया? तो हम फिर भी बेटर है? हम खुश हैं। ऐसा लगती है? जब रीडर्स वो, जब वो पढ़े, जब वो स्टोरी पढ़ेंगे हम? तब हमें ऐसा फील होती है। मुझे स्पेशल्ली भी। मुंशी प्रेमचंद की हर 1 स्टोरी बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि मुंशी प्रेमचंद की हर 1 स्टोरी से हमें ऐसी सीख मिलती है।
Tara pushkar
@Tarapushkar · 1:40
तो मॉल चले जाते हैं। मॉल में भी। अगर? अच्छा नहीं लगता? तो मूवी देख लेते हैं। सो नी? थिंग फॉर एंटरटेनमेंट एंड वो। बच्चा हमी है। और बन। दरवाजा वही है जो हमारी सेल्फ। जो हमारा डिवाइन सेल्फ है। तो उसको हमें जानना जरूरी है। तो उसी पर मेडिटेट करने की जरूरत है? शायद और कुछ नहीं। और उस सेल्फ को जानने के लिए सरेंडर होना बहुत जरूरी है। तो बस इतना ही। इस आल आई वांटेड। तो से थैंक यू।
Swell Team
@Swell · 0:15
N M
@Nehakesaath · 1:48
और अगर आपका नाम याद आया तो प्लीज शेयर करे यहां पर। और थैंक यू सो मच। यू नो। आप अपना इतना वक्त निकालते हो। और हमारे स्वेल पर यू नो सुनते हो। और अपने विचार प्रगट करते हो। बहुत अच्छा लगता है ऐसे यू नो कोई फीडबैक दे। और तो हमें और इंस्पिरेशन मिलती है। यू नो। और स्वेल्स करने की। थैंक यू सो। मच गौरी? गॉड? ब्लेस? यू।
N M
@Nehakesaath · 1:59
बहुत शुक्रिया। आपका। और बिल्कुल। सही है कि यू नो हम अपने इंद्रियों के वश में हैं। और इस जमाने में अब के टाइम में। ऐसी इतनी इतनी सारी? चीजें? हमारे पास की। हम हम यही नहीं समझ पाते कि हम एंटरटेन हो रहे हैं? या फिर परेशान हो रहे हैं। सो? पहले का जो टाइम था जब हम बच्चे थे वो वक्त ही कुछ और था। बेहद सुकून भरा और खुशियों भरा। एंड इतने। सारे इंटरटेनमेंट के साधन नहीं थे। उस। वक्त। तो हम एक्ट्ललीमेंयूनो गुड्डी गुडियों का खेल खेला करते थे।