Neelam Singh
@NEELAM · 2:05
"मैं लड़का हूँ , #कविता
मैं लड़का हूँ मेरा चरित्र सख्त कहलाए? जैसे जैसे मेरी उम्र बड़े मुझ पर ख्वाहिशों का बोझ बढ़ता जाए? करियर बनाना? और घर को संभालना। इस सब दवा में ही मेरी किशोर अवस्था निकल जाए। और फिर भी मेरा चरित्र सख्त कहलाये? बढ़ते बढ़ते? उम्र? अकेले पन की कमी खलती जाए? और कंधे? जिम्मेदारी निभा? अपनी? मत? सोच? यह कह कर आवाज? लगाए? मैं लड़का हूं। फिर भी मेरा चरित्र सख्त कहलाए? ऊंचे पद पर नौकरी लगा? कहीं? हमारी नाक न? कट जाए? घरवाले? बार बार यह कह कर?
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:55
कई बार ऐसा होता है कि लड़कों के दुख दर्द को ये जो, ये वाला दुख होता है। न? जो फैमिली का प्रेशर। 1 घरवालों की एक्सपेक्टेशन पर खरे उतरने का बोझ। तो ये सब चीजें। सिर्फ। वही जानते हैं? हम? नहीं समझ पाते। तो आपने इस चीज को बहुत ही अच्छे से डिप किया है। सो थैंक यू सो मच। for the maपकीपोसटingलइ?
Neelam Singh
@NEELAM · 0:35
थैंक यू प्रिया। आपने इस पोइट्री को। मैं लड़का हूं मेरा चरित्र सख्त कहलाय को एप्रीशिएट किया और सबके अपने 1 प्वाइंट होते हैं जो कि मजबूरी वाले होते हैं 1 तरफ लड़कियों के होते हैं 1 तरफ लड़कों के भी होते हैं। इसलिए हमें दोनों को ध्यान में रखते हुए ही न्याय की बात करनी चाहिए। और मेरी इस पोस्ट में लड़कों के लिए 1 न्याय की बात की गयी। सो थैंक यू आपको अच्छी लगी।