Neelam Singh
@NEELAM · 3:24
क्या हमें अपनी जिंदगी के फैसले लेने का हक नही ।
हम लोग किसी भी विषय पर अपनी 1 राय बहुत जल्दी बना लेते हैं और निगेटिव जहां होता है उसको तो हम अपने जीवन में उतार लेते हैं या उस चीज को कोई बदलना चाहे तो भी हमें बदलने नहीं देते जैसे कि अभी 1 श्रद्धा नाम की लड़की थी उसका किसी मुस्लिम लड़के से प्यार हुआ लिविन में रहे और उसके उस लड़के ने 35 टुकड़े कर दिए यह खबर बहुत तेजी से फैली सा लगभग सबको ये खबर पता है उसके बाद कहीं भी किसी ने शादी की या कुछ हुआ वहां लोगों के मैंने रिप्लाई पड़े जहां लिखा था जैसे किसी हिंदू मुस्लिम अभी 1 एक्ट्रेस ने देवलीना नाम की एक्ट्रेस हैं उसने 1 मुस्लिम लड़के ने लड़की से शादी की तो वहाँ भी लोगों ने क*ेंट किया 35 टुकड़े याद हैं तो और जहां श्रद्धा और उस लड़के का सवाल था तो वहां भी लोगों ने क*ेंट किया था कि माता पिता को धोखा देकर अगर शादी करोगे तो यही सब होगा पर क्या हम सही हैं जो ऐसा सोचते हैं मेरी नजर में तो नहीं ये सही बात क्योंकि यदि किसी के साथ ऐसा होता है तो ये कॉन्सिडेंस भी हो सकता है सहयोग भी हो सकता है हर कोई गलत नहीं होता न हर कोई हिंदू गलत होता है न हर कोई मुसलमान गलत होता है न हर कोई हिंदू सही होता है न हर 1 मुसलमान सही होता है तो इस तरह से अपनी 1 विचारधारा बनाना बहुत गलत है जैसे कहते हैं कि माता पिता को छोड़ दिया माता पिता ने भी अपने बच्चों के साथ गलत किया हुआ है ऐसा नहीं है कि माता पिता गलत नहीं करती माता पिता तो बेटियों तक को पैदा नहीं करते ऐसे भी माता पिता हैं तो इसमें माता माता पिता को छोड़ने वाली बात नहीं है यह दिल का मामला होता है यह अपने राइट्स का मामला होता है क्या हमारे अधिकार हैं तो उसको हम जज करने वाले कौन होते हैं पता नहीं मेरा यह सवाल आपको कैसा लगेगा पर मेरा यही मानना है कि सबका अपना 1 जीवन है जिसे इंसान अपने हिसाब से जीता है और उसके साथ अच्छा या बुरा होना वो उसकी किस्मत रही भी इंसान को किसी इंसान के अंदर के साथ कुछ गलत होता है तो तुम उसकी गलतियों में उस इंसान के अन्दर सिर्फ गलतियां ही ढूंढते रहो कि कैसे कैसे उस पर इलजाम लगाया जाए तो मेरी नजर में यह सही नहीं है तो आप लोग क्या कहना चाहेंगे इस बारे में।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 1:13
ह**ो नीलम जी आज मैं बहुत दिनों के बाद आपको सुन रही हूं बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है मुझे आपने यह बहुत ही अच्छा टॉपिक चुना है कि क्या हमें अपनी जिंदगी के फैसले लेने का हक नहीं बिल्कुल बिल्कुल हमें हक है ये हक हमें हमारी जिंदगी भी देती है हमारी फैमिली हमारे फ्रेंड्स भी देते हैं और गवर्नमेंट भी देती है ब* कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी फैमिली के दबाव में या फिर ये जो डर होता है न जो हमें हर तरफ से घेर लेता है कि अगर हमने खुद से कुछ सोचा तो कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए अगर हमने किसी और की नहीं सुनी तो क्या पता कुछ गड़बड़ी हो जाए और अगर उनकी सुन लेते तो अच्छा होता तो बहुत सारी चीजें हैं बहुत सारे फैक्टर्स हैं जो हमेशा फील कर आते हैं कि नहीं हमें अपनी लाइफ के फैसले खुद से नहीं लेना चाहिए हम भले कितने भी मोर हों कितने भी अच्छे ग्रुप में हैं स्टिल जो 1 डर है 1 टेंशन है 1 हेजिटेशन है यह हमें रोक देती है अपनी लाइफ के इम्पॉर्टेंट फैसले ले तो मैम आपने सच में बहुत ही अच्छा टॉपिक चूज किया है 1 ऐसा टॉपिक जिसमे हम जितनी भी बातें करें वह क* ही होंगे इट व सीरियसली और नाइस पीस सवेल थैंक यू।