Neelam Singh
@NEELAM · 0:52
एक ऐसा आशियाना हो। #poetry
1 ऐसा आशिया न हो, खिड़की पर खिल खिलाती हो, मुस्कुराहट का पर्दा, खिड़की पर खिलखिलाती, मुस्कुराहट का पर्दा, पड़ा हो, हर तरह हो, शांति की बहती, हवा और दिल में सुख, चैन का ठिकाना। हो। 1 ऐसा आशियाना हो, सुख चैन का ठिकाना। हो, काश। 1 ऐसा आशियाना हो।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:46
मैम। आपकी। यह पोयट्री मतलब बहुत ही ज्यादा सुक** देने वाली टाइप थी? क्योंकि जैसे हमारी लाइफ हो गई है भागती दौड़ती। हमेशा। 1 सिस्टम से घिरे हुए तो सब कुछ होते हुए भी हमें ऐसा ही महसूस होगा कि हम आजाद नहीं है। जिस तरीके की आशियाने की आप बात कर ही है वो शायद ही अब हमें मिले तब मिल सकता है जब अपनी बिजी लाइफ से दूर होकर हम कहीं बाहर जाएं? कहीं? घूमने? या फिर? और? घूमने? के लिए तो सिर्फ 2 या 4 दिन ही होते हैं? या मैक्सिमम 10 दिन होते हैं?
Neelam Singh
@NEELAM · 0:38
थैंक। यू प्रिया ने अपने पोयट्री को अच्छा बताया। और मैं ये कहूंगी कि बाहर की खुशियां? जो आप कह रहे हो? 24 दिन की होती है? 10 दिन की होती है। लेकिन ये जो मेरी ख्वाइश वाली कविता थी, जो मैंने लिखी है। तो ये हमें अपने दिल में खोजनी होगी, वैसे कहना? बहुत आसान है? पर? हो? पाना? बहुत? मुश्किल। पर कोशिश? तो करनी? होगी? न? सो? थैंक यू सो? मच प्रिया आपके रिप्लाई के लिए।