Neelam Singh
@NEELAM · 2:58
राहुल गांधी ,पदयात्रा
राहुल गांधी हमेशा कुछ न कुछ ऐसा जरूर करते हैं जिससे कि वह लाइमलाइट में आ ही जाते हैं उनके बोलने का अंदाज उनका कुछ भी बोल देना हमेशा 1 न्यूज बना देता है ऐसे ही आजकल उन्हों की 1 पद यात्रा चल रही है जिसमें भी उन्होंने जिसमें कि उन्होंने अपनी इस पदयात्रा में कहा कि हमारी इस पदयात्रा में सूअर, बकरी, भैंस कुत्ता आदि सब शामिल हुए पर हमने किसी को नहीं मारा पर उनका यह बोलना किसी की भावना को आहत करना नहीं था और उनकी इस पदयात्रा का मकसद भी सिर्फ जातिवाद से ऊपर उठ कर के मानवता के लिए थी उनकी ये यात्रा जिसमें वह कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक भ्रमण कर रहे हैं इस यात्रा का मकसद सिर्फ भाईचारा सद्भावना जातिवाद से ऊपर उठकर मानवता का संदेश देना है जिसने इस यात्रा के प्रयोजन को अपने मत से हट कर मानवता के उद्देश्य से समझा वहीं इस यात्रा में शामिल हो गया फिर चाहे वह कोई विपक्षी दल के ही क्यों न हो इस यात्रा में आप देखोगे और समझोगे तो इस यात्रा में शामिल हुई रोहित वरमुला की मां जिनके बेटे रोहित वरमुला ने हैदराबाद के विश्वविद्यालय में जातिबाद के जहर को पीकर आत्महत्या कर ली यह यात्रा भाईचारे की सद्भावना को महत्त्व देती है राजनीति को नहीं इस यात्रा में शामिल होने इस के लिए आई थी वह इस यात्रा में शामिल होने इसलिए आई थी क्योंकि भेदभाव की कुरीति और अहंकारी सत्ता से वह हताश थी इस यात्रा में फिल्म स्टार से लेकर सफाई कर्मचारी तक सब जुड़े जिनका हाथ थामकर राहुल गांधी आगे बढ़ते रहे और यात्रा को सफल बनाते रहे और भी काफी लोग इस यात्रा में शामिल हुए जिसमें कि देश के जवान भी थे बड़े बड़े फिल्म स्टार थे कमल सन थे सुशांत सिंह थे पूजा भर्ती साथ ही उनके साथ शामिल उस यात्रा में शामिल हुई थी गोरी लंकेश की मां जो धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ थी जिसे उन लोगों ने मार दिया जिनको मानव धर्म नहीं अपितु जाति धर्म अधिक प्रिय था और उन्होंने सीने पर गोली खाई पर वह जुकी नहीं यह यात्रा 1 भारत जोड़ो यात्रा है यह 1 धर्मनिरपेक्ष यात्रा है जिसमें हिंदू मुस्लिम या कोई भी जाति धर्म की भावना को ठेस न पहुंचाते हुए इस यात्रा को सफल बनाया जा रहा है।
उन्हें यह भी सचता नहीं है कि 1 चाय बेचने वाला भारत का प्रधानमंत्री बन कर बैठा है। और यह भारत की डेमोक्रेसी की जीत है। डयनास्रीकीनहीं? इसलिए? वो कुछ न कुछ करके? आपने? सही? कहा? कुछ न कुछ करके। पेपर के फ्रंट पेज पर आते हैं। और मीडिया भी। उन्हें बहुत लाइमलाइट देती है। पैसे तो हैं है ही मीडिया पर लगाने के लिए। लेकिन जब भारत को उनकी जरूरत होती है? तब वो होते हैं मारिशियस में। और कभी यह भी पता नहीं चलता कि कहाँ होते हैं? इलेक्शन के? टाइम करेंटली? आ जाते हैं?