Neelam Singh
@NEELAM · 4:50
मोक्ष (कहानी )
आज सुमन के बेटे की बहु आने वाली थी सुमन बहुत खुश थी आखिर उसके बेटे ने अपना घर बसा ही लिया बहुत मुश्किल से शादी के लिए राजी हुआ था उमंग बोलता था मां हमें कितनी मुश्किलों से पाला है आपने दीदी की शादी करना तो माना जरूरी था पर मेरी शादी की क्या जरूरत न जाने कैसी लड़की होगी और क्या पता आपको कैसे रखेगी आप आजकल की लड़कियों को नहीं जानती उनको कोई बंधन नहीं चाहिए यह बोलकर उमंग चुप हो गया उमंग की बात सुनकर सुमन हंसने लगी और उमंग के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली बेटा अगर तू सही है तो वो मुझे क्यों परेशान करेगी और मैं भी उसकी मां बनकर रहूंगी और थोडी सी बहस के बाद आखिरकार उमंग की मां ने उमंग को शादी के लिए मना ही लिया और आखिरकार वह दिन आ ही गया जब उमंग घोड़ी पर बैठा था और घोड़ी पर बैठकर अपने लिए दुल्हनिया ले आया भाभी आ गई मां मैं आरती का थाल लेकर के आती हूं उमंग की बहन ने कहा हां जल्दी ले आ और सुन पानी का लोटा भी ले आना हां ठीक है सुमन की बेटी पल्लवी बोली इस तरह नहीं बहू घर आ गई सुमन के मना करने पर भी उमंग के ससुराल वालों ने कुछ दहेज दे दिया दहेज में फर्नीचर वगैरह कुछ समान आया था शादी के 2 दिन बाद सब मेहमान चले गए पल्लवी बोली मां मैं भी जाती हूं अरे नहीं अभी रुक जा तेरी भाबी और उमंग कुछ दिन के लिए हनीमून पर जा रहे हैं तब तक रुक जाओ 1 सप्ताह की तो बात है बस ठीक है मां मैं उनसे पूछ लेती हूँ वो कहेंगे तो रुक जाऊंगी हम ठीक है पूछ ले फिर पल्लवी ने अपने पति को फोन किया और उनके पति ने इजाजत दे दी रहने के लिए अगले दिन उमंग और उमंग की पत्नी हनीमून पर चले गए 1 सप्ताह जैसे तैसे भी दिया उमंग अपनी पत्नी स्वेता के साथ वापस आया पल्लवी ने चाय बनाकर सबको दी इतने में पल्लवी की बेटी रोने लगी पल्लवी की बेटी ने बैड गिला कर दिया था पल्लवी बोली शैतान ने बिस्तर गीला कर दिया तभी उमंग की पत्नी बोली दीदी आपको अपनी बेटी को हमारे नए बेड पर नहीं सुलाना चाहिए था देखो न नया गड्ढा खराब हो गया यह सुनकर सुनार यह सुनकर सुमन और पल्लवी 1 दूसरे की तरफ देखने लगे तभी उमंग आया और बोला अरे कोई बात नहीं सूख जाएगा पर जब तक पल्लवी की आंखें गीली हो चुकी थीं और उसका मन भारी हो गया था कि भावी ने आते ही यह क्या बोल दिया और सुमन का चेहरा भी उदास था अगले दिन पल्लवी अपने घर चली गई स्वेता के बर्ताव से सुमन को थोड़ा तो आने वाली बहु का अंदाजा हो गया था और हुआ भी वही स्वेता हर बात पर अपनी चलाती हर काम अपनी मर्जी से करती उमंग की सुनती ही नहीं धीरे धीरे करके ऐसे ही दिन बीतने लगे और देखते ही देखते 10 साल बीत गए स्वेता और क्रूर होती गई और इसी बीच उमंग 1 बेटा भी हो गया जो अब 8 साल का है सुमन को खाना भी इसलिए मिल रहा था क्योंकि वह घर का बहुत सा काम करती थी और 1 दिन सुमन बीमार हो गई उसे भूख लगी उसने स्वेता को आवाज दी स्वेता और स्वेता माँ आपको बीमारी में भी चैन नहीं है क्या बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दे दे दवाई खानी है उमंग होता तो वो ला देता हाँ हाँ अभी लाती हूँ मैं कहाँ मना कर रही हूँ ला दे बेटी 2 दिन से तो कुछ खाने का मन नहीं हुआ था आज थोड़ी भूख लग रही है तो दे दे खाना अभी खाना नहीं बना है अभी मैं कपड़े धो रही हूँ उसके बाद बनाउंगी यह बोलकर स्वेता वहां से चली गई।
Neelam Singh
@NEELAM · 1:08
और लगभग 3 घंटे बाद स्वेता खाना लेकर के आई। लो खा? लो। खाना। अरे? उठ। क्यों? नहीं? रही? आप? स्वेता ने मुंह बनाते हुए बोला। सुमन? फिर भी नहीं। उठी। स्वेता ने ध्यान से देखा? तो सुमन को लकवा। मार चुका था। वो उसको आनन फानन में हॉस्पिटल लेकर गई। और उसने उमंग को फोन किया। उमंग सुमन। उमंग भी हॉस्पिटल आ गया। सुमन 2 महीने हॉस्पिटल में रही। वो उन 2 महीनों में ग्लूकोस की बोतल पर रही।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:17
बहुत ही खूबसूरत कहानी थी और कहानी का शीर्षक आपने बहुत ही जबरदस्त चुना था मोक्ष 1 ऐसा शब्द जिसे हम सब कहीं न कहीं तलाशते हैं कहीं न कहीं ढूंढते हैं कि ये हमें मिल जाए तो हमारी जिंदगी को 1 सही मायने में ले।
Swell Team
@Swell · 0:15
Neelam Singh
@NEELAM · 0:20
थैंक यू प्रिया आपने रिप्लाई किया उसके लिए और प्लीज ऐसी रिप्लाई करना इससे मैं थोड़ा और मोटिवेट होती हूं और मैं ऐसे ही आप सब के लिए अच्छी अच्छी कविताएं कहानी आर्टिकल्स लेके आती रहूंगी थैंक यू वन्स अगेन।