हम बहुत कुछ करना चाहते हैं। पर बाद में हमें पता चलता है वह व्यक्ति इस काबिल ही नहीं कि हम उसके लिए खुद को समर्पित कर दें। ऐसा ही कुछ सजीव जीवन में भी होता है। जब 1 बहु बहुत अरमान लेकर 1 नए घर में कदम रखती है। पर उस घर के लोग बहू को काम करने वाली मशीन समझ लेते हैं। और बहू के सारे अनुमान बिखर कर रह जाते हैं। फिर वह उस परिवार के लिए सिर्फ फर्ज निभाती है। पर दिल से उन की नहीं हो पाती? ऐसा नहीं है। ये सब सिर्फ बहुओं के साथ होता है।