Neelam Singh
@NEELAM · 4:56
जैसी करनी वैसी भरनी,
गिव? एंड टेक? कहते हैं। आज का जमाना गिवेंटेक का है? और लोग इस बात पर हद से ज्यादा विली करने लगे हैं? भरोसा करने लगे हैं। उनको। मतलब। उन्होंने अपने जहन में बिठा लिया है? कि जैसा कोई मेरे साथ करेगा? वैसे ही मैं उसके साथ करूंगा? या करूंगी? और अगर कोई मेरा साथ नहीं देता है? तो मैं भी नहीं दूंगी। ब*? क्या? यह सही है?
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:44
मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हु की 1 प्रेजेंट हमारे अंदर यही वाली भावना हो गई है कि हम किसी के लिए तभी कुछ करेंगे? जब वो हमारे लिए करे। तो मैं बस इतना कह सकती हूँ कि नोट नोइंग की मैं कैसे इंसान हूँ है? ब*? मैं इस चीज को फॉलो नहीं करती। अगर किसी को मेरी ह**्प की जरुरत है तो मैं उसकी ह**्प बिल्कुल करती हूँ। और अगर किसी ने मेरे साथ पूरा किया है फिर भी उसे मेरी ह**्प की जरुरत है तो भी मैं ह**्प करती हूँ? माफ नहीं करती हूँ?
Neelam Singh
@NEELAM · 0:36
आपकी बात सुनी। आपकी। सोच। सुनी। मुझे बहुत पसंद आई और बहुत अच्छा लगा कि मैं आपको जानती हूं। और हम 1 दूसरे का हमेशा सहयोग भी करते हैं। स्वेल पर। तो आप जैसे प्यारे से फ्रेंड को पाकर। मैं खुश हूं। छोटे से फ्रेंड हो। आप। मेरे पर। बहुत अच्छे लगते हैं। आपकी बातें सुनकर के कॉर्ड प्लेसी हूं। आप हमेशा खुश रहें और जीवन में खूब तरक्की करें।