@Navin-sharma
navin sharma
@Navin-sharma · 1:21

वो आँखरी मुलाक़ात

कई अरसों की मुहब्बत और वो आखिरी मुलाकात कई अरसों की मुहब्बत और वो आखिरी मुलाकात कई किस्से 1 शहर कई किस्से 1 शहर और वो आखिरी मुलाकात चंद ख्वाब 1 चंद ख्वाब 1 हकीकत और वो आखिरी मुलाकात उसके बाद कहा है उसके बाद कहा है तो कुछ यूं हुआ तो कुछ यूं हुआ बिछड गए हम तो कुछ यूं हुआ बिछड गए हम समरतेसमरते समरते समरते बिखर गये हम तो कुछ यूं हुआ बिखर गए हम सवरते सवरते बिखर गए हम कलही की बात है कलही की बात है ख्वाब नहीं है कलही की बात है ख्वाब नहीं है चाय थी मुलाकात थी चाय थी मुलाकात थी गुलाबी सी मुस्कान थी बेहद हसी रात थी चाय थी मुलाकात थी गुलाबी सी मुस्कान थी बेहद हसी रात थी हकीकत थी अब ख्वाब है हकीकत थी अब ख्वाब है।
@ivgaur
अजनबी Anonymous
@ivgaur · 4:53

Long reply 😅😂

बहुत खूब, बहुत खूब मुलाकात वो भी आखिरी तो पहली और आखिरी मुलाकात अक्सर जो शख्स होता है अगर वो महत्वपूर्ण रहा हो किसी समय, किसी काल में, किसी समय चक्कर में, किसी भी मैं हूं तो पॉइंट ऑफ टाइम इम्पोर्टेंस रखी हो उसने जरुरी नहीं है कि वो आज भी इम्पोर्टेंस रखता हो किसी समय रहा हो तो उसके साथ पहली और आखिरी मुलाकात बोलना तो बड़ी दूर की बात है और अक्सर याद ही रहती है हमारे सब कांशिश माइंड में कभी उससे कुछ तालुकात रखता हुआ, कोई भी कोई घटना उससे गठित होती है, उससे ताल्लुक रखती है तो एकदम से वो याद भी आ जाती है भले ही हमें 6677 साल से एकदम बहुत पुरानी बात हो न याद हो और उससे कुछ भी रिलेटेड होगा तो याद आ जाएगी और ऐसे में सबसे ज्यादा जो दुख देती है वो बात होती है जो दूसरी लाइन में आपने कहीं शहर 1 से की अब अगर शहर भी इसमें जुड़ जाए कि आप उस जगह से न निकले हों जहाँ पे समझ रहे हो न तो आपको अक्सर याद दिलाने वाली चीजें दिखती ही रहेंगी इस समथिंग डीप ब* उसके मैं मैं कोशिश कर रहा था कि आगे इसके साथ चलो और जैसा मुझे समझ में आया उससे ऐसा लगा कि आपने शायद इससे आगे भी लिखी है या कुछ प्लान किया हो क्योंकि ये कंक्लूजन पे आते आते ऐसा लगा कि अभी और कुछ कहेंगे आप तो अभी तक जितना कहा वो तो अच्छा लगा बाकी शहर क किस्से या कई किस्से इस तरह से लिखा है आपने 1 बार मैंने लिखा था थोड़ा ज्यादा नहीं मेरे खयाल में 5 लाइनें लिखी थीं तो कुछ इस तरह थी इसी से कुछ जुड़ी हुई तो वो दोहरा देता हूं 1 बार मुझे भी ठीक से याद नहीं क्योंकि मैं कई बार जैसा मैंने कहा कि याद जब उससे कुछ रिलेटेड होता है तो एकदम याद आ जाती है चीजें मैं कई साल पहले कुछ लिखा हुआ कोशिश कर रहा हूँ की उसी तरह से याद आ जाए कुछ कुछ याद आ गया कई साल पहले लिखा करीब 4 साल हो गए इस बात को तो ये काफी पुराना समय मैंने लिखा था तो एकदम से तो शायद चारों पांचों लाइन एकदम ठीक याद न आए लेकिन कुछ कोशिश करते हैं की इस तरह से कुछ याद आ रहा है वो की शहर है हमारा शहर 1 किस्से को कई किस्से होने के बाद शहर है हमारा और हमी है वो शहर है हमारा और हम है गुम क्योंकि इस शहर में कभी कर रहे थे तुम क्योंकि इस शहर में कभी आ कर रहे थे तुम तुम तो चले गए तुम तो चले गए लौट कर ये शहर छोड़कर तुम तो चले गए लौट कर ये शहर छोड़कर 1 परदेशी की तरह 1 परदेसी की तरह गुजारता हूँ ये जिंदगी देखते हुए वही गुजारता हूँ यह जिंदगी देखते हुए वही शहर वही सड़कें, वही इमारतें, वही दफ्तर, वही शहर, वही सड़कें, वही मारतें, वहीं दफ्तर कभी किस तरह कभी किस तरह कभी इस तरह तो कभी उस इस तरह तो ये 45 लाइनें तो लिखी थी वो याद आ इस शहर में यादें हैं उसको अक्सर लोग सोचते हैं कि छोड़ के चले गए और उससे कुछ मदद जरूर ऐसा नहीं है कि मदद नहीं मिलती उससे बहुत मदद मिलती अक्सर और जब वो 1 समय तक कहीं दूर रहने की वजह से या कुछ भी आपको मदद मिल जाती है तो 1 स्ट्रॉंग प्वॉइंट भी आ जाता है 1 समय पर कि अब वापस उस शहर में आप चले भी जाए तो उतना फर्क पड़ेगा फर्क तो हमेशा ही पड़ता है लेकिन रोज मररा के जीवन में कोई खास स उसका फर्क नहीं पड़ेगा थोड़ा बहुत यादें हैं आएंगी चली जाएगी, कभी कुछ कर लेंगे आप व्यस्त हो जाएंगे उस समय थोड़ा आराम मिलता है मतलब ये अच्छी लगी मुझे मैं इतना इंग्लिश होता नहीं हूँ अक्सर किसी को रिप्लाई करते हुए ये 1 शहर कई हिस्से यह और आखिरी मुलाकात की दोनों थोड़ा सा रिलेट कर के लिखते रहे स्वस्थ रहे, व्यस्त रहे धन्यवाद।
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