Daanveer Karn - P1
दुणाचारयसेन सुनकर वासुसेन महान गुरु परुषराम जी से ब्रह्मास्त्र की विद्या प्राप्त करने का निश्चय किया। वासुसेन जब उनके पास पहुंचे तो परिश्रम जी ने उनको शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया और उनकी क्षमता को परख कर उन्हें धीरे धीरे ब्रह्मास्त्र विद्या के बारे में सिखाना शुरू कर दिया।