Chandni Baid
@moonie21 · 1:24
इंसान कितना रोया है !!
इंसान किस कदर रोया है? हंसी? उड़ाने वालों को? क्या पता? इंसान किस? कदर रोया है? फिर लिखा है वक्से? हारा? वक से हारा मेहनत को सहारा बन जिया है। वो। वह से? हारा मेहनत को सहारा बन जिया है। किस्मत से? मेहरबान लोगों को? क्या पता? किस्मत से? मेहरबान लोगों को? क्या पता? है? इंसान ने कितनी बार टूट को? खुद को? समझोया? है? इंसान ने?
Jagreeti sharma
@voicequeen · 0:35
जीवन की हकीकत? दयावती? खूबसूरत? सच। ना। मेहनत से न। भागने का संदेश। वृद्धि हुई। कुछ पाने के लिए। कुछ खोना तो पड़ता है। लेकिन ये बात सच है कि जिस पर बीतती है वहीं उस दर्द को जानता है? हौसला? न? हाथ? मंजिल। तुझे। मिलेगी। मंजिल। अभी? दूर है। पर जाना तो जरूर है। टूट कर? बिखरने? और बिखर कर। फिर से। संभलने का नाम ही जिंदगी है? धन्यवाद।
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 0:49
हे? चांदी? गुड? ईवनिंग। बहुत सुन्दर बात कही आपने। कि पलकों में? आंसू? दिल में दर्द भर? सोया है? जी? इंसान। वही समझ पाता है? जिसने दर्द को महसूस किया है। पलकों में तो उसके आंसू हैं। बस? बहने? नहीं देता है। जी? बिल्कुल। वक्त से जो हारा है। वही मेहनत को अपना सहारा बना कर जीता है। टूटने के बाद ही इंसान खुद को समझा पाता है। बहुत ही सुंदर कविता। लिखी है। आपने। ऐसे ही लिखते रहिये। सभी का।
Jaya Sharma
@jayasharma · 0:17
हे? चमनी। आपने बहुत अच्छा लिखा है। वो कहते हैं न कि जिसके पैर नहीं फटे बिवाई वो क्या जाने? पीर पर आई। और आपने बहुत अच्छा वर्णन किया। अपनी कविता में। थैंक यू इसी तरह। और आगे लिखते रहिए।