2, हो सके तो इस आईने में मुझे खुद को ढूंढने। 2 हो सके तो इस आईने में मुझे खुद को ढूंढने। 2, दफन हुई हसरतें टटोलने 2 दफन हुई जो हसरतें टटोलने 2 दफन की गई यादों को भी टटोलने 2 दफन की गई यादों को भी टटोलने। 2 हो सके तो इस आईने में मुझे आज मेरी रुक। ढूंढने। 2 हो सके तो इस आईने में मुझे मेरी रुको ढूंढने। 2 तो हम हम सब को पता है कि आईना हमें सच दिखाता है इससे रिलेटेड मैंने। 1 कविता लिखी है। और आई होप आप। सबको बहुत पसंद।
Rashmi Gautam
@krishndiwaniRG · 1:14
हेल्लो मैम आपकी कविता आईने के ऊपर बहुत ही अच्छी है। आपने बहुत अच्छे से एक्सप्लेन किया है। आईने में। जब हम खुद को देखते हैं तो हमारी पर्सनैलिटी को हम देख पाते हैं। आईना सच खाता है। और जब हम खुद को आईने में देखते हैं तो हम न अपना सिर्फ बाहरी रूप देख पाते हैं बल्कि खुद को अच्छे से जज भी कर पाते हैं। तो आपने 1 तरह से जो पंक्तियां बोली हैं कि आई में आईने में खुद को देखने। 2 खुद से मुलाकात करने। 2 तो आपकी पंक्तियां बहुत ही खूबसूरत है। इसमें आप दर्शा रही है कि मैं खुद को भी जानना चाहती हूं।
Chandni Baid
@moonie21 · 0:43
हेलो मैं? थैंक यू सो। मच। आपको। यह कविता पसंद आई है। और जो बहुत खुशी मिलती है। इन फैक्ट हर लेखक को बहुत खुशी मिलती है। जब उसकी रचनाओं को सहराया जाता है, दिल से समझा जाता है और सहराया जाता है। मेरी हमेशा से कोशिश ही रही है कि मैं मन के भावों को अपने अलफासों में समेट के लोगों तक पहुंचा सकूं और लोग उसे समझ पाए। और अगर कुछ अच्छा लगे तो अपने जीवन में भी उतार पाए। तो थैंक यू सो मच। मैं हम आपके।