कभी तुम तनहा करती हो, कभी तुम साथ रहती हो, कभी तुम रूठ जाती हो, कभी खुद मान जाती हो। आँखों से इशारे करती हो। बहुत कुछ बोल जाती हो। शर्मा के आहें भरती हो? दिल जीत जाती हो। आँखें जब बंद करता हूँ, तुम सपनों में आ जाती हो। आना जब भी देखता हूँ नजर तुम ही आते हो। रात में। चांद की चांदनी बन कर लोरी। तुम सुनती हो। सुबह। सूरज की किरणें बनकर। तुम मुझको रोज, जगाती हो?
Meri Lekhani
@munnaprajapati1 · 1:03
गुप्ता जी। नमस्कार? मैं, मुन्ना प्रजापति। आपकी। कविता सुनी। काफी खूबसूरत बनाया आपने। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि आपने अधूरा छोड़ दिया तो अधूरा ना छोड़ें। कृपया? इसे इमोशन के साथ भावनात्मक रूप से पूरा करें? काफी खूबसूरत लिखा है। आपने? बहुत खूबसूरत लगा। मुझे? सुना। मैं। और आपका। जो लहजा है वो लहजे में थोड़ा बदलाव करेंगे। तो बेहतर रहेगा? ठीक है? बहुत खूबसूरत लिख रहे हैं। आप।
mayank gupta
@Mayankgupta1995 · 0:08
थैंक यू प्रजापति? जी? थैंक यू सो। मच ये सर अधूरी नीति पूरी ही थी।