ऐसा लग रहा है? जैसे सब छूट सा रहा है। न जाने क्यों? यह मन टूट सा रहा है? हम है? वहीं खड़ा? जहाँ मैं पहले भी था। पर तब ऐसा नहीं लगता था? जैसे अब लग रहा है। अपनों के बीच होकर भी। क्यों? मैं? अकेला पन? जिए जा रहा हूँ? न? चाहते हुए भी। मैं खामोशियों से घिरा जा रहा हूँ। न बोलने को जी चाहता है, न कुछ कहने का मन करता है। बस खुद को खुद में ही तलाश करने में, गुम? सुम में, गुमसुम?
0:00
0:00