जब मुझे मेरी कीमत न थी तो कुबेर था? और जब कीमत बनाने चला तो बिखारी हो। चला। दोस्तों कहने का मतलब यह है कि आप अपने सेल्फ वर्त को पहचाने। मुर्चित वस्था में। हम अपनी सेल्फ वर्त को बहुत हल्के में लेते हैं। यही सल्फसेल्फवर्ज है? आपके। आपके। आत्म मूल्य है? जो संसार को आपके समीप लेकर आता है। आपके आनंद को आपके बनाए हुए संसार? लोग उससे कनेक्ट कर पाते हैं। और यही सकारात्मक ऊर्जा आप अपने बनाये हुए संसार में संचालित करते हैं। तो इसकी कीमत को पहचाने।