@Lakshmi.soni_14
Lakshmi Soni
@Lakshmi.soni_14 · 2:01
article image placeholderUploaded by @Lakshmi.soni_14
फिर कहीं? दगती? ज्वाला? सी? काल की? काली? भी? तुम? कहीं सौममचंदरसीचंद्र की चंद्रानी? हो? तुम? 7 सुरों की सांझ में। बस्ती? बांसुरी की मधुर? धुन हो? तुम। कहीं ज्ञान का? अथांग? सागर? नदी में? प्रवाहित? नीर? विदु? कहीं? शिवा के जिजाऊ? कहीं? शिवा के? जिजाऊ? तो वीरांगना, महारानी। लक्ष्मी? बाई? हो? तुम। अंधकार में। खिलती। 1 उजाले की मरण? होतुम? निराशा में। आशा होतुम? कुलदीप? प्रज्वलित करने वाली? माता? भा। तुम। कहीं मेरा, कहीं सीता? कहीं? मदर? मैरी? हो? तुम। कन? कन में? बस्ता? कन? कन में। बस्ता? नाम हो?

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@Priya_swell_
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:17

@Lakshmi.soni_14

बहुत ही ज्यादा खूबसूरत कविता थी और बिल्कुल इमोशनल थी। प्लस आपने सीरियसली। हर 1 प्वाइंट को कवर किया है। जो 1 वुमन को डिफाइन करता है। उसके पॉवर को वाट। शी। रियली। इस बहुत ही अच्छा था कि पोस्टिंग लाइक दिस।
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