Lakshmi Soni
@Lakshmi.soni_14 · 2:36
#अनकही _daस्तान ....
तो क्या? बोलते? पब्लिक? कैसे है? आप? सब? चलिए? आज? कुछ सुनाती? हूँ? तो शिक्षक हैं? अनकही? दास्तान? घनघोर। अंधेरी। रात में। कई दूर? टिमटिमाती। आशा की किरन से हो। तुम। कोशी से भी। मुझे। जो पढ़ जाए। मेरे सिले। अधरों के अल्फाजों को। जो। आँखों के जरिए बया कर जाए, बिखरते सपनों को, जो नई उड़ान दे जाए, जो गुस्से में भी मुझे हंसा जाए।
Prabha Iyer
@PSPV · 1:01
ये तो पता नहीं। लेकिन अगर हो? तो अच्छा हो कि आपकी जो आपने जो बयान किया था। गुस्से में। जब आप हों? तो मनाना। ये सब। जो। छोटे छोटे जिद्द को पूरा करना। ये सब मुमकिन है? या नहीं? यह तो नहीं जानते हैं। पर ऐसे कोई हो? जो ऐसे सब चीजों को पूरी करें। तो फिर? उसकी तो जिंदगी बन गई। आपकी कविता सुनके। मुझे बहुत अच्छा लगा। ऐसे ही स्व। करते? रहिये? गुड? नाइट?