कल? 1 झलक जिंदगी को देखा। वो राहु पे? मेरी गुनगुना रही थी। फिर ढूँढा उसे इधर उधर। वो आँख में चोली कर मुस्करा रही थी। ही खर्चे के बाद आया। मुझे करार? सहला के। मुझे सुला रही थी। हम दोनो क्यों खफा हैं? 1 दूसरे से? मैं उसे? और वो मुझे समझा रही थी। मैंने पूछ लिया क्यों? इतना दर्द दिया? कम? बक? तू ने? वो हंसी? और बोली? मैं जिंदगी हूं। पगले? तुझे जीना सिखा रही थी?
Aishani Chatterjee
@Aishani · 0:42
हाई निहारिका वेल्कम ऑन स्वेल। मेरा नाम आसानी है और मैं स्वेल टीम की 1 पाठ हूँ। आपको ये कविता बहुत बहुत अच्छा लगा। और आपका कविता में पोच्रमेंइंट्रेस् देखते हुए मैं 1 स्वेल का लिंक अटैच कर रही हूँ। अपने रिप्लाई के साथ। उस स्वेल को आप जरूर चेकआउट कीजिएगा वो भी 1 पोटरी स्वेल है। and if you like it उसमें रिप्लाई भी कीजिएगा और ऐसे और भी कई पोर्टरी स्वेल्स आप exपलोरकर सकते हैं। api? and yeah? you can ask me any question? if you need help?