@kavyakaar
Meenu Babbar
@kavyakaar · 2:01

कविता --- प्रणाम करें

article image placeholderUploaded by @kavyakaar
इस धरा के। हर 1 कण कण का। सुंदर पुष्पों से शृंगार किया। चलो सब मिल कर, प्रणाम करे, जीवन अपना सा कार करें। जिसने रतनाकर विपन्न दिए, जिसने रतनाकर विपन्न दिए, जिसने तरुवर तडांग दिए। हर डाल डाल पर। नभचर बोलें, हर डाल डाल पर। नभचर बोले। कैसे अद्भुत काम किए। चलो। सब मिलकर प्रणाम करे, जीवन अपना सा कार्य करें। हरि कृष्णा। धन्यवाद। दोस्तों। ये मेरी कविता प्रभु चरणों में समर्पित है। और आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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@Vipin0124
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 1:13

@kavyakaar

नमस्कार? काव्यकार? मीनू जी। बेहद। खूबसूरत। रचना। कानजी की। इससे बेहतर शाब्दिक रूप में प्रशंसा नहीं की जा सकती। आपने उनके भिन्न भिन्न रूपों को, उनके भिन्न भिन्न कार्यों को, उन्होंने किस प्रकार से पृथ्वी को, प्रकृति को, सुंदर बनाया है? उसका बेहद। सुंदर शब्दों में आपने वाचन किया। आपकी रचना अप्रतिम है। ईश्वर के भक्तों के लिए। इससे सुंदर उपहार कुछ नहीं हो सकता था। काना जी भी आज बहुत प्रसन्न। महसूस करेंगे।
@kavyakaar
Meenu Babbar
@kavyakaar · 0:12

@Vipin0124

थैंक यू मैडम थैंक यू सो। मच आपको मेरी कविता अच्छी लगी और ऐसे ही मैं लिखती रहूंगी और आप सबके साथ अपनी कविताएं शेयर करती रहूंगी राधे राधे।
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