Meenu Babbar
@kavyakaar · 2:23
कविता -- अनाथालय
काबे? का? का? आप सब को नमन? कैसे हो? दोस्तों। मैं? मीनू बब्बल। आज फिर से अपनी 1 नई कविता के साथ उपस्थित हूं। आप सब के समक्ष। तो मेरी कविता का जो शीर्षक है वो है अनाथ हाल्या। अनाथ हालिया के आंगन में। जब नन्ही। किलकारी सुनती है। अनजान सही। पर, सुन। आवाज। हृदय में। ममता उठती है। न जाने क्यों अनाथ बना। न जाने क्यों अनाथ बना? त्याग देते हैं? जन्मदाता छोड़ देते हैं।