कठिनाइयों के पथ पर भी। कठिनाइयों के पथ पर भी। हंसते हंसते चलना है। जिसने यह पाठ पढ़ा डाला। उस गुरु को मैं प्रणाम करूँ। क्या महिमा। गुरु के गांव में, क्या शब्दों में गुणगान करूँ। क्या महिमा। गुरु के गाँव में, क्या शब्दों में गुणगान करूं। हर पद को अलौकिक कर। डाला। हर समय उन्हें प्रणाम करूं। गुरु की सुन्दर। शिक्षा ने, गुरु की। सुंदर। शिक्षा ने, आत्मनिर्भर हमें बनाया है। अंधकार मिटाकर, सारा, अच्छा, इंसान बनाया है।
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 0:47
गुड? मॉर्निंग मीनू। गुरु की महिमा का बहुत सुंदर शब्दों में व्याख्यान गुरु का स्थान कोई नहीं ले सकता है। और गुरु के प्रति जो ऋण है वह हम पूर्ण जीवन में कभी नहीं चुका सकते। प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप में, जहां कहीं पर भी गुरु हैं। हमें हमेशा उन्हें शतशत प्रणाम करना है। और उनके सिखाए हुए उनके मार्गदर्शित पथ पर हमेशा चलते रहना है। बहुत सुन्दर भाव व्यक्त किया। आपने। इसी प्रकार से शेयर करते रहिये? बहुत बहुत धन्यवाद।