@kavyakaar
Meenu Babbar
@kavyakaar · 2:05

कविता --- आकाश

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का? बेकार? का? आप? सबको? नमन? प्रणाम? दोस्तों। कैसे है? आप? सब? आशा? करता हूँ? सब। कुशल। मंगल होंगे? तो। आज मैं मीनू फिर से अपनी नई कविता के साथ प्रस्तुत हूँ। और जो मेरी कविता है उसका शीर्षक है। आकाश। नीली। चादर है। आकाश? जिसमें धका, सारा, संसार, न? आदि। न अंत है। इसका। कैसा? अद्भुत है? आकाश? इसके ही अंचल में? हर दिन।

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