यह भी 1 निशानी है। उनकी। अपनी ही मेहनत से। खड़े हैं। आज। इस प्रांगन में। जहाँ मिलता है। इंसाफ। हर निर्देशों को अपने वचनों को पूरा करने की जिम्मेदारी उठाते। उठाते। प्राण भी। गवाते हैं। वो। फिर भी। न जाने क्यों? पीछे हटने का दुस्साहस न दिखाते। वो। सच्चाई के सामने। दिखता न। जिसे कोई जाति, भेद, हार, जीत का है। जिसे न कोई खेद।