नमस्ते? आज। बादल स्टे के अवसर पर। मैं आप सबको यह बताना चाहूँगी कि पापा वो धन है। जिसका कोई मोल नहीं है। जो अपने बच्चों के लिए सारी खुशियां निछावर कर देती हैं। मैं बस उन बच्चों को ये बताना चाहूंगी कि अपने पापा के इस प्यार को अपनी काबिलियत बनाओ ना कि किसी और के पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद करो। मैं काजुन। आज आप लोगो के सामने 1 कविता पेश करूंगी। जिसका नाम है फरिश्ता। मेरी हर जरूरत हर ख्वाहिश को पूरा करते हैं। वो। मैं। रोऊं तो मेरे चुप होने की वजह बनते हैं।