कहते हैं न कि हम अगर कोई ऐसा काम करते हैं जिसमें कि कोई श्रम नहीं है और फिर उसके बाद हम अगर उसकी फल की इच्छा करते हैं तो हमें भगवान के सामने हाथ फैलाना पड़ता है और अगर हम कोई ऐसा काम करते हैं जिसे श्रम है और जिससे हमें धन की प्राप्ति हो सकत तो वहाँ पे आपको दिन मांगे भगवान को देना पड़ता है। विचार कीजिए और उसके हिसाब से जीवन में आप अपना अगला खत्म लीजिए। राधे राधे।
Shivani Ganta
@Poem_world._03 · 1:07
हेलो? सर राधे राधे। पहली बात तो अपने श्रम और धर्म का महत्व बहुत ही खूबी से बताया है। दर्शाया है अपने अपने ही अंदाज में। और श्री कृष्ण की बातें से प्रेरित। होके। आप में बहुत कुछ सीख दिए जाते हैं। ऐसे बहुत से श्रम और धरम के महत्व होते हैं। लेकिन जिस तरीके से आपने दर्शाया अपने ही वाक्य में बहुत ही खूबी सिनभयाहऔरऐसी स्वेल्स आपके बहुत ही खूब है। धन्यवाद। आपकी स्वेल के लिए। थैंक यू हैव। गुड? डे? थैंक यू सो। और ऐसे स्वेल्स लाते रहिये। और हमारे हमको सीख मिलती जाती है।
नमस्कार? मनीष जी? बहुत अच्छा लगा। आपका स्वेल? मैं। आपसे बल्कि। अच्छा? तो आप बोलते है। मनी को। ये बताए कि क्या आप गीता का अध्ययन करते हैं? कि जिस तरह से आप बताते हैं? जिस से बोलते हैं? ऐसा लगता है कि जैसे आपने गीता पढ़ी है? या आपने कुछ इस इन चीजों के बारे में सर्च करी है? रिसर्च? करी है? क्योंकि बिल्कुल ऐसे जो आपकी वाणी है। और जिस तरह से आप बोलते हैं। जिस तरह से जांच पर, रखके। सब कुछ बोलते हैं। बहुत अच्छा लगता है। और ऐसा लगता है कि जैसे आपने बहुत तैयारी करके आपने। ये कहानियां।