मनीष श्रीवास्तव
@kahanibaaz · 3:02
Tum aur tumhari yaade..
खुद को रुलाने के तमाम तरीके हैं मेरे पास। लेकिन तुम्हारी यादों की बात ही कुछ और है। अब तो हसर देखकर तरस आता है? खुद? पर। मुझे? अब तो अपना जो हस कर लिया है मैंने? वो देखकर? खुद? पे? तरस तरस आता है। मुझे। जिस वक्त से गुजर रहा हूँ मैं। उस वक्त के बाद कुछ और है? देखे हैं हमने भी कई एज के किस्से। लेकिन तुम्हारी याद में रोने की बात ही कुछ और है? पता है? तुम्हे? आज कल? न? अकेले में हंसने?
Mousumi Roy
@bayleaf · 1:00
हेलो मनीष हमने सुनी। आपकी कविता हम समझ सकते हैं। आपकी भावनाओं को। तो आपकी भावनाओं की कदर करते हुए कुछ लाइनें मेरी तरफ से। अगर यादों में वो न होती? अगर यादों में वो ना होती तो आपकी यादें नमकीन कैसे हो पाती? अगर यादों में वो ना होती? अगर यादों में वो ना होती? तो कैसे ये कविताएं बाहर आ पाती? जनाब? आपने तो इश किया है। और इस को आंसू का प्यासा है की पोस्टिंग इट वॉज नइस थैंक यू।