कंस? और कलियुग में। उस जो राक्षस है उसका नाम सबसे छोटा है। और वो है मैं अहम अहंकार और बस। पे। कहने का। तात्पर्य यह है कि जैसे जैसे युग बदलते गए वैसे वैसे राक्षस का नाम जो है? छोटा होता गया? लेकिन उसका प्रभाव जो है? उतना ही ज्यादा बढ़ता गया। हिरन काश्यप बहुत बड़ा नाम है। लेकिन मैं अहंकार अहंकार जो है। हर 1 इंसान के अंदर है। कलियुग में हर 1 इंसान राक्षस है? लेकिन ऐसा हर 1 युग में नहीं था।
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 0:31
थैंक यू मनीश। आपने। बिल्कुल? ठीक? कहा कि हर इंसान के अंदर कोई कोई राक्षस he रहा है? जैसे कि पहले आ चुकी है। सतयुग का ही इंतजार है। to din? जिस तरह से सब कुछ आसपास हो रहा है? मुझे तो यह प्रलय ही लग रही है। थैंक यू सो मच? for sharing? this haवआगुडडayबयबाई।
नमस्कार मनीष जी जय माता दी। आपने बिल्कुल सही कहा कि लोग आज कल मैं और इस अहंकार में इतने ज्यादा वो हो गए हैं कि सोचते नहीं है कि वो क्या कर रहे हैं क्या नहीं कर रहे हैं हर इंसान के अन्दर 1 राक्षस है। क्योंकि हर कोई अपने बारे में सोचता है कि मैं कैसे दूसरे को गिरा के आगे बढ़ जाऊं कैसे मैं सारी दुनिया की धन दौलत जायदाद पा लूं कैसे मैं इतना ताकतवर बन जाऊं कि मेरे आगे तो कोई है ही नहीं तो आपने बिल्कुल सही कहा ऐसे ही