मनीष श्रीवास्तव
@kahanibaaz · 2:09
शब्दों पे ध्यान दीजिये
नमस्कार दोस्तों। मेरा नाम है मनीष। और मैं लिखता हूँ? कहानियाँ राधे? राधे? पता? जिंदगी में होता क्या है? हमारे साथ? की? हमारे पास। कितने रिश्ते होते हैं? कितने मित्र? होते हैं? कितनी सही? सम्बंधी होते हैं? और वो हमें हमारी शकल के लिए कभी याद नहीं करते। वो हमें याद करते हैं? तो हमारे वचनों की वजह से? हमारे शब्दों की वजह से। हमें वो याद करते हैं। तो भरसक कोशिश कीजिए कि आप के जो शब्द हैं वो कभी किसी को ठेस न पहुंचाए। क्योंकि होता क्या?
मेरा बहुत बहुत नमस्कार। आपको। मनीष जी। मेरा नाम कदम गुप्ता है? मैंने अभी आपका। स्वेल सुना। बड़ी महत्वपूर्ण बात कही आपने? और इस बात पर मुझे 1 दोहा याद आ रहा है? जो हम स्कूल में पढ़ा करते थे। वो दोहा कुछ ऐसा था कि रहिमन धागा प्रेम का? मत? तोड़ो चटकाय टूटे से फिर ना? जुड़े जुड़े गांठ पड़ जाए। इसका मतलब यह है कि जो धागे होते हैं रिश्तों के वो बड़े नाजुक होते है। अगर वो टूट गए तो उनमें ऐसी गांठ पड़ जाती है। ऐसी वो पढ़ जाती है? नोट पड़ जाती है? जो कभी खुल नहीं सकती।