मनीष श्रीवास्तव
@kahanibaaz · 1:46
Ye aap par nirbhar karta hai
लेकिन हम कोशिश जरूर कर सकते हैं कि जितना ज्यादा हो सके उतना ज्यादा। हम उन लमहों को। इस परिस्थितियों को हम नजरअंदाज करे। और वो परिस्थिति आई है? उससे हम बाहर। कैसे? निकलेंगे? इस पर ज्यादा ध्यान दें। विचार कीजिएगा बताइए? राधे राधे।
Uchi. Uchita Galaiya
@Feather · 0:13
नमस्कार? मनीष, जी? मैं फेदर और आपका सर। मैंने। हाल ही में सुना काफी अच्छा है। और इसी तरह आप लिखते रहिये और हमें बताते रहिये और थैंक यू वेरी मच।
तो भगवान हमें खुद ताकत देता है। चीजों से बाहर निकलने की। बहुत अच्छा लगा। जिस तरह से आपने बोला। जिस तरह से आपका जो उच्चारण है। बहुत अच्छा लगता है। और पूरे दिन में अगर नकारात्मकता हमारे साथ होती है। तो मुझे तो लगता है कि उन्हें आपका स्वेल सुनना चाहिए। कहीं न कहीं उनका मन शांत हो जाएगा। जो मन में ख्यालों का भवन है वो शांत हो जाएगा। ऐसे लिखते रहिये। हमें अपना स्वेल सुनाते रहिये। हमारी सोच को सकारात्मकता देते रहिए। और बेस्ट। विशिज। टो यू। लॉट्स र। सक्सेस टो यू थैंक यू।
Swell Team
@Swell · 0:15
Rebel Drace
@itsmeRebelDrace · 3:21
सीधी बात है। पर नजरंदाज करना? मुझे नहीं लगता? यह अच्छी चीज है? बाकी? कठिन? परिस्थितियां? नकारात्मक? सोच? वगैरह मतलब। हम उससे डील कर सकते हैं। अगर हम शांत होकर सुनें समझें? और फिर रिएक्ट करें। मतलब। जैसे कोई अगर बात चल रही है? आपको? आपने? कुछ देखा? आपको? 1? नेगेटिव? फीलिंग आ गई? या? कुछ? आ गया? पहले? उसे? समझे? उस सिचुएशन को? समझे? ये चीज कहां से आ रही है? वो समझे?
मनीष श्रीवास्तव
@kahanibaaz · 3:29
इसका। मतलब जो परिस्थिति मेरे सामने आई। मैंने उसको 1 नॉलेज किया और उसके बाद मेरे से जितना ज्यादा बन सकता है। मैं उसे अपने से दूर रखने की कोशिश कर रहा हूँ? ताकि मैं उसका समाधान ढूंढ सकू। और रही बात कि परिस्थितियां बार बार हमारे सामने आएंगे। बेशक। आएंगे। वहा पे। हमारी बुद्धिमानी होती है। हमारा दिमाग। वहां पे। 1 रोल प्ले करता है कि हम उस परेशानी को सुनते हुए, समझते हुए, जानते हुए, देखते हुए भी इगनोर कर रहे हैं कि उसका इम्पैक्ट मेरे दिमाग में न आए।