इतना एडवांस? सोचूंगा? जमाना कि कोई किसी को कोई समझता ही नहीं है। आज की डेट में। नमस्कार दोस्तों। मेरा नाम है मनीष। और मैं लिखता हूँ? कहानियां। आज जब मैं दिल्ली से बैंगलोर आ रहा था तो मैंने 1 चीज ऑब्जर्व की की फ्लाइट बैठे। लोग अपने आप को आई थिंक अंबानी समझते हैं। 1 नॉर्मल साइंस। ना? जो अपनी वाइफ को लेकर फ्लाइट में चढ़ा था। मैं भी उस को पहला टाइप होगा। वो बहुत ज्यादा एक्साइटेड था। फ्लाइट को लेकर। के। और 1 इंसान से। उसने मतलब सहायता मांगी की मुझे बता दे जा मेरा सीट नंबर कहाँ पर है?
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 1:53
या ये कह लो कि पश्चिमी सभ्यता का आवरण, जो हमने ओड़ लिया है। इसका परिणाम है कि हम अपना जो व्यक्तित्व है, मनुष्य का रूप। ओरिजनालिटी। जिसे हम कहते हैं। हमारा ओरिजनल? रूप। वो। हम भूलते जा रहे हैं। खैर कुछ कर नहीं सकते हैं। इस विषय में। बस इतनी ही कोशिश रहेगी कि हम और आप, अपने व्याख्यानों द्वारा, अपने विचारों द्वारा, ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक कर सकें। और जागृति। फैला? सकें। थैंक, यू? सो? मच फॉर?
Renu Mangtani
@Rainu · 2:19
अरे उसी फ्लाइट में आप ट्रेवल कर रहे हो? तो? क्यों? किसी को क्लास का? मतलब? एटीट्यूड? दिखाना? हम इकॉनमी क्लास के हैं? या? हम? उसे भी? मतलब? हम ऑफर क्लास के हैं? या? वेवर? इटस? क्यों? वो? शो करना? योर, ट्रैवलिंग? फॉर? सम? टाइम? टुगेदर को? अच्छे से? रहो? अच्छे से बात करो? ब*? नहीं? लोगों को। पता नहीं क्या? चीज का आटिट्यूड आ गया? आजकल? देखो जाना?