दिल की बात। बताना चाहता हूँ। कुछ उलझनों में उलझा हूँ, वो उलझनें, सुलझाना चाहता हूँ। न जाने किस बात की? नाराजगी है? किस बात का? गुस्सा है? मैं? यह बेमतलब की लड़ाई? सुलझाना चाहता हूँ? कहनी है? अपने दिल की बात? और तेरे दिल की? सुनना चाहता हूँ। दिल की बात? बताना चाहता हूँ। कुछ दिनों में उल रहा हूँ, सुलझाना चाहता हूँ।
मेरी तरफ से बहुत बहुत नमस्कार। आपको। आपने। बहुत ही अच्छी। अपनी बात आज सामने रखी। और अपने कुछ विचार प्रस्तुत करते हुए मैं बस इतना कहना चाहूंगी कि जिंदगी में हम जो कुछ भी चाहते हैं। या जो कुछ भी हम पाना चाहते हैं। अगर जिंदगी वैसे हमारे अनुसार चले तो शायद उसे जिंदगी में कुछ और ही नाम दिया जाएगा। ऐसे ही जिंदगी में उतार चढ़ाव आते है। और हर 1 फेर से गुजरना। यह भी जरूरी है। क्योंकि अगर जिंदगी में सिर्फ अच्छी ही चीजें होती रहेंगी तो हमें गलत चीजें नेगेटिव चीजों का ना पता होगा ना? कभी उन चीजों को एक्सपीरियंस किया होगा। आपने बहुत ही अच्छा लिखा। कुछ उल्जनो में।