उसे तो फकत अपनी संतान का मुस्तकबिल बनाना है। अपनी औलाद की जिंदगी? सवारनी है। ये सोचकर। अपनी जिंदगी भी। जीना भूल जाता है। कोई। यह सोचकर अपनी जिंदगी भी भूल जा? जीना? भूल जाता है। कोई। बूढ़े, मां? बाप? और असक्त। माँ का सहारा है। कोई? और कोई नहीं। वह हर घर में रहने वाला। 1 पिता है। 1 जिम्मेदार पिता। जिसे हर पल अपने बच्चों का ही ख्याल रहता है। कि किस तरह उसके बच्चे आगे बढ़ें। और 1 जिम्मेदार नागरिक बने।
Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:47
हम सब के पिता और परिवार के लोग हमेशा खुश रहें। प्रशन रहें। इसी कामना के साथ। आपको। नई नई कविताएं, कहानियां देखते? रहिएगा? और सपोर्ट। सुनाते। रहिएगा। धन्यवाद।