हेलो? डियर? स्वेल? कास्ट मैं? जया शर्मा आपके सामने फिर रुबरु। हूं? 1। अपनी नई कविता के साथ? जिसका शीर्षक है मतलबी। मुझे पता है कि काम निकलते ही तुम। मुझे दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल फेंकोगे। मुझे पता है कि काम निकलते ही तुम। मुझे दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल फेंकोगे? पर। मैं फिर भी तुम्हारे काम आउंगी। पर। मैं फिर भी तुम्हारे काम आउंगी? क्योंकि वो तुम्हारा स्वभाव है? और यह मेरा?
और ये कविता बहुत सच्ची है। आजकल की लोगों के लिए है? डरेशन के लिए। है। बहुत ही सुन्दर कविता है। ऐसी अच्छी अच्छी कविताएं। लिखते रहिये। और सुनाते रहिये हमें धन्यवाद।