ह**ो? स्वेन? फैमिली में जया शर्मा। आज आपके सामने लेकर आई हूं। 1 कविता। जिसका शीर्षक है तेरी मेहरबानियां तेरी मेहरबानियां। मुझे सोने? नहीं देती, तेरी मेहरबानियां। मुझे। सोने? नहीं देतीं। भर आई हैं आंखें, पर, रोने? नहीं देती? भर आई हैं आंखें, पर? रोने? नहीं देती। न समझना। ए। दोस्तों, ये आंसू गम के हैं, न? समझना। ह। दोस्तों ये आंसू गम के हैं, तनाव भरी झोली। मेरी छलकने?
नमस्कार सबको आशा करती हूँ कि आप सब ठीक और खुशहाल होंगे तो जया शर्मा जी मैं आपके रात पढने के लिए हमेशा उत्सुक होती है और आप बहुत ही अच्छे विषयों पर जो हैं लिखते हो तो जैसे कि आज आपने तेरी मेहरबानियों पर लिखा कि जो आँखें जो हैं वो भर आई हैं लेकिन वो रोने नहीं देती तो ये सब भगवान की जो है मेर बानिया और ईश्वर की ही कृपा हमारे ऊपर तो जो समझे वो अच्छी बात है तो जो नहीं समझे विकारी तो यह भगवान की ही मेरबानी है जिनकी वजह से जो है सारे काम जो है सम्पूर्ण और सफल होते हैं और हमें हर पल ईश्वर का जो है धन्यवाद करना चाहिए तो आपने जो है बहुत ही अच्छे से लिखा और ऐसे लिखते रहिये और हमें सुनाते रहिये और।
SHREYA SAHA
@Angel3110 · 1:04
सो? हेलो? जया जी आपने जो लास्ट लाइन। बोली। न? जो। इस पृथ्वी में जो कुछ होता है? या फिर जो भी है सब उस परम पिता के हाथों होता है। मतलब भगवान के हाथों होता है। तो भगवान की आप पर। बहुत कृपा है की आपने ये प्रतिभा है की आप इतनी अच्छी कविता लिख सकती है। यह कविता जो आपने प्रस्तुत किए हैं। है न? मतलब? बहुत ही सुंदर है।
Laxmi Dixit
@vicharnama · 0:49
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति दी है। आपने। बहुत सुन्दर लिखा है। सच में। इंसान को जो भी दिया है वो ईश्वर ने ही दिया है। माँ बाप, रिश्ते, नाते, खाने को भोजन सांस लेने के लिए। हवा? जो भी छोटी से छोटी नियमत, जो भी जिंदगी में मिली है, सब ईश्वर की ही देन है। और हम सबको तहे दिल से उस परमात्मा का शुक्र गुजार होना चाहिए कि उसने हमें इतना कुछ दिया है? धन्यवाद।