@jayasharma
Jaya Sharma
@jayasharma · 3:24
article image placeholderUploaded by @jayasharma
जब जख्म 1 को होता था। और पीड़ा दोनों को बराबर होती थी। आज। 1 दूजे का हाल पूछने का भी वक्त नहीं। उनके पास। आज 1 दूजे का हाल पूछने का भी वक्त नहीं। उनके पास। जब कभी बचपन में खिलौनों पटाखों के बंटवारे की बात आती थी। जब कभी बचपन में खिलौनों पटाखों के बंटवारे की बात आती थी। दोनों? 1 दूसरे के हिस्से में ज्यादा आये? यही सोचता था। दोनों। 1 दूसरे के हिस्से में ज्यादा? आए? यही सोचता था। दूसरे की खुशी में खुश?

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@SPane23
Jyotsana Rupam
@SPane23 · 1:27
तो जहाँ मेहनत है वहाँ तकदीर को भी थोड़ा सा। अपना बदलना पड़ता है। रास्ता। और एकदम सही। कडवी सच्चाई है अभी जिंदगी की। जो आपने अपनी कविता में लिखी हैं। ये हर 10 घर में से 1 घर की कहानी है। जिसको आपने कविता में शब्दों को पीरों की कविता का रूप दिया है। जिंदगी की भी। 1 अटूट करवा सच। जिसको बदला नहीं जा सकता है। बस ऐसे ही आप। लिखती रहिये। और सुनाते रहिये। बहुत अच्छा। आपकी। कविताएं। वैसे भी बहुत अच्छी रहती है। बहुत अच्छे।
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