हेलो स्वेल फैमिली में जया शर्मा पुनः उपस्थित हूं आपके सामने अपनी 1 नई कविता के साथ, जिसका शीर्षक है बदलाव की बयार। लद गए वो दिन, जब तुमको बिरयानी खिलाई जाती थी, लद गए वो दिन जब तुमको बिरयानी खिलाई जाती थी, अब तो तुम जैसे आकाओं को नानी याद दिलाई जाती है, अब तो तुम जैसे आकाओं को नानी याद दिलाई जाती है। लद गए वो दिन जब तुम संग गलबहियां डाली जाती थी, लद गए वो दिन जब तुम संग गलबहियां डाली जाती थी, अब तुम जैसे दुर्दांतों को हथकड़ियां पहनाई जाती है, अब तुम जैसे दुर्दांतों को हथकड़ियां पहनाई जाती है।