तो बादस्तूर जारी है लब खामोश हैं तो क्या ख्वाबों में आना तो बदस्तूर जारी है पेश है मेरी कविता। तेरे कूंचे से गुजरते हैं अब चुपके चुपके तेरे कूँचे से गुजरते हैं अब चुपके चुपके कहीं देख न ले तू मुझे झरोखे से चुप कहीं देख न ले तो मुझे झरोखे से छुपके यादें तरोताजा न हो जाए फिर से यादें तरोताजा न हो जाएं