@jayasharma
Jaya Sharma
@jayasharma · 2:10
article image placeholderUploaded by @jayasharma
जो घंटों बैठ बातें किया करते थे। कभी उन सारी चैट्स को डिलीट कर दिया। मैंने तेरी यादों के गलियारे में जाना छोड़ दिया। मैंने। जिन राहों से तुम गुजरते थे। जिन राहों से तुम आते थे। उन्हें ब्लॉक कर दिया। मैंने तेरी यादों के गलियारे में जाना छोड़ दिया। मैंने। दर्द के 1 गहरे सागर को दर्द के 1 गहरे सागर को पार कर लिया। मैंने। चाशनी लिपटी। जुबान के पीछे का खारापन। चाशनी। लिपटी। जुबान के पीछे का खारा। पन। महसूस कर लिया। मैंने। ख्वाबों के झूठे। मकड जाल से।

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@voicequeen
Jagreeti sharma
@voicequeen · 0:49
नमस्कार जाना। बहुत समय बाद आपकी कविता सुनी। अच्छा लगा। आपकी कविता से या खुद के साथ रहना? और खुद के साथ जिंदगी जीने की प्रेरणा देती है। आपने सच ही कहा है? जब हम खुद के साथ रहना सीख जाते है। खुद से खुद की दोस्ती हो जाती है। तो हम खुद में ही व्यास हो जाते हैं। फिर हमें किसी भी व्यक्ति या झूठे व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती है। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। आप इसी तरह की कविताएं देखते रहिएगा और हम सबको सुनाते रहिएगा। आपकी ये कविता आज के सोशल मीडिया की बात कविता को भी दर्जा दी है। थैंक यू।
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