@JayaC
Jaya Chawla
@JayaC · 3:57

Hasraton ke shehar mein kabhi ek makaan mera bhi tha

article image placeholderUploaded by @JayaC
as re taza composition ke sath fir? आई हू matfer अर्ज है कि हसरतों के शहर में 1 मकान मेरा भी था। हसरतों के शहर में। 1 मकान मेरा भी था। वो। 1 लंबा। जब पहले पहल तू ने। नजर मुझ से चुराई थी। वो? 1 लंबा। जब पहले पहल तूने। नजर मुझसे चुराई थी, ना जे। तेरा भी था? जबतेएंतहातेरा भी था। वो। इन्तहा मेरा भी था।
@TheDevilsHorse
Adarsh Rai
@TheDevilsHorse · 0:35

Loved It

जया बिलकुल सही फरमाया आखिर की 4 लाइन। dil ki? one me? संशय? कोई डाउट? या? बिलकुल? कुरेनी? बहुत बहुत धन्यवाद। आपने। इतने सिंपल वे में। इतनी गहरी बात की? है? बहुत हुंदा धन्यवाद।
@jayasharma
Jaya Sharma
@jayasharma · 3:34
आना जाना ही जिंदगी नहीं होती? रुस्वा किए जाते हो? सनमस्मोड़पेराका। रुस्वा? किए जाते हैं। सनम। इस मोड़ पर। आकर। मुड़कर भी नहीं देखा। जिंदा हैं भी कि नहीं? मुड़कर भी नहीं देखा। जिंदा हैं भी कि नहीं? फिर मैंने शायद मुहब्बत को इन अलफाजों में पिरोया। जो कि हकीकत हो सकती है। छू जाते हैं। लव्स तेरे दूर। रहकर भी। छू जाते हैं। लव्स तेरे दूर। रह। कर भी। कौन? कहता है? मोहब्बत में? मिलना? जरूरी है? कौन? कहता है? मुहब्बत में? मिलना?
@trawell_cast
rajat chakraborty
@trawell_cast · 3:07
एंड मुझे ऐसा लगता है कि 1 पोइट्री के बाहर आने के लिए 1 कविता बनने के लिए 1 शायरी बनने के लिए 1 मुकम्मल जरनी लेना। बहुत जरुरी है। किसी भी एक्सपीरियंस का? तो आपकी शायरी से वो जर्नी। मुझे। समझ में आती है कि अगर आपने वो जर्नी नहीं की होगी? या आपने वो एक्सपीरियंस नहीं किया होगा? तो शायद वो कविता बाहर आएगी? नहीं। इतनी सिम्प्लिसिटी से इतनी आसान? इतने कम शब्दों में इतनी ज्यादा बातों को कहना। ये 1 पोइट्री से ही मनासिब होता है।
@KHEVARIYA
Arun Khevariya
@KHEVARIYA · 0:27
जया जी। हसरतों की खलिश हमारी जिंदगी में 1 लंबे अरसे तक अपना असर डालती है। और तनहाई में आने वाले किसी दोस्त की मानिंद चुपके से आकर हमारे सामने खड़ी हो जाती है। हसरतों की इस खलिश को आपने जिन खूबसूरत अल्फाज और जिस खूबसूरत अंदाज के साथ बयां किया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
@Swell
Swell Team
@Swell · 0:15

Welcome to Swell!

@The.mystic01
The mystic
@The.mystic01 · 1:17
खुशियों का खुमार भी था। दिल के दरिया में। बहती थी। उम्मीदों की लहरें। पर। वहां अपने आंसुओं का 1 संसार भी था। हसरतों के शहर में भी। 1 मकान मेरा भी था। कभी? उड़ते थे? खुशियों के पंछी। मेरे। आंगन में। किसी ख्वाब की उड़ान थी? तो कोई आसमां भी था। हसरतों के शहर में। कभी 1 मकान मेरा भी था। अब खाली है? सुनसान है? वो कमरे? वो मिनारें? अकेला? पंचा? दरसा? घेरे है।
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