कभी। यूं भी आ मेरे रूबरू तुझे पास। पाक में, रो? पड़ूँ, मुझे, मंजिलें, इश्क पर, हो? यकीन तुझे धडकनों में सुना करूँ, कभी सजा लूँ तुझको आँखों में, कभी तस्वीरों में पढ़ा करूँ, कभी चूम लूँ। तेरे हाथों को, कभी तेरे दिल में बसा करूँ, कभी। यूँ भी। मेरे रूबरू तुझे पास। पा के मैं रो पडूँ।

Soulful poetry...writer unknown

@PSPV
Prabha Iyer
@PSPV · 1:25
नमस्ते मैं प्रबा बोल रही हूँ आपकी यह जो छोटी सी कविता है मेरे दिल को बहुत भाया है क्योंकि आप शब्दों को चुन चुन की इसमें काफी अच्छी सही डंग से प्रयोग किये हैं आप लिखे हैं बहुत अच्छी तर आपने वाक्किव में प्रयोग किये हैं जैसे कभी तस्वीर में पड़ा करूं कभी चूम लो तरे हातों को कभी तुमारे आखों को मैं अपने सजा लूं और मैं आपकी देख रही हूं जहाँ एक मुझे मैं सोच रही थी कि काश कि ऐसे होता कभी तेरे दिल में बसा करूं कभी यूं भी मेरे स्वरुप तुझे पास मैं रोपड़ूं। यहाँ पे एक चीज़ मुझे ऐसे लगा कि कभी तेरे दिल में बसा करूं। कभी नहीं। हमेशा तेरे दिल में बसा करूं। आप अच्छली आपका मन यही कहना चाह रहा है। पर पता नहीं आपने बातों में ऐसे क्यों कहा।
@jassi_dil_se

@PSPV

प्रभाजी के लिए अच्छान के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्रभाजी के लिए प्र
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