@JAISHREEKRISHNA
Vivek Shukla
@JAISHREEKRISHNA · 4:49

श्रीमद भगवद्गीता अध्याय १३

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बर्ताव करते हुए भी फिर जन्म नहीं होता? अर्थात वह जन्ममरण से मुक्त हो जाता है। अब कहते हैं अर्जुन जी उस पुरुष को जानने का और भी कोई उपाय है? क्या? तो? कहते हैं? हाँ? है। यह। कई मनुष्य ध्यान योग के द्वारा, कई शंखयोग के द्वारा? और कई कर्म योग के द्वारा अपने आप में अपने स्वरूप को जान लेते है। और आगे कहते है जीवन मुक्त महापुरुषों की आज्ञा के परायण हो जाते हैं। वे भी मृत्यु को उतर जाते हैं? अर्थात मुक्त हो जाते हैं। तो ये जो अध्याय 13 की जो हमने बात करी? प्रकृति? पुरुष? और चेतना? क्षेत्र?

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@Priya_swell_
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:27
बहुत बहुत धन्यवाद। इस अध्याय को हमारे बीच रखने के लिए। और मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। इसके सहारे। अध्याय। सुनने में। बिका। ये 1 ऐसा टाइम होता है जहाँ आप किताबें तो उतना टाइम नहीं होता कि हम बुक्स पढ़ पाए हैं? या फिर? और। फोन से। पढने में। वो मजा भी नहीं आता। लेकिन जब कोई बोले सुना तो बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता। है। न? आई? रली लव विच? यू पोस्ट रिगार्डिंग भागवत गीता सो थैंक यू सो मच फॉर पोस्ट?
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