@JAISHREEKRISHNA
Vivek Shukla
@JAISHREEKRISHNA · 4:26

श्रीमद भगवद्गीता अध्याय ४(भाग २)

दर्पण रूप यग्य? जिसमें सम्पूर्ण पदार्थ, क्रिया? आदि अर्पण हो जाती है। तीसरा अभिन्नता रूप यज्ञ? जिसमें साधक अपने आप को ब्रह्म? 1? कर देता है। संयम रूप यज्ञ? जिसमें साधक अपनी इंद्रियों को संयम कर लेता है। पांचवां? क्या है? विषय? हवन रूप यज्ञ? जिसमें साधक, राग, द्वेश, रहित, इंद्रियों से विषयों का सेवन करता है। छठा समाधि रूप यज्ञ? प्राण, प्राणों, इंद्रियों?

#swell #bhagwatgeeta #jaishreekrishna #god

@Priya_swell_
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:27
मुझे भागवत गीता सुनना बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है। 1 तो सबसे कॉमन पॉइंट यही है कि वो हमें बहुत कुछ सिखाता है दूसरी बात यह है कि कृष्ण जी की जो बातें हैं न वो मतलब ऐसा लगता है कि आप पूरी दुनिया से वो कहते हैं न? मोह माया तो आप उससे दूर होकर 1 ऐसी दुनिया में हो जहाँ पर सिर्फ और सिर्फ आपको कृष्ण वाणी सुनाई दे रही है? मुझे बहुत ही अच्छा लगा। आपका ये स्वर की पोस्टिंग लाइक।
0:00
0:00