@JAISHREEKRISHNA
Vivek Shukla
@JAISHREEKRISHNA · 4:35

श्रीमद भगवतगीता अध्याय ५( भाग २)

जय? श्रीकृष्ण। दोस्तों। मैं? विवेक? शुक्ला? और अध्याय। 5। के। भाग? दूसरे में हम चर्चा कर रहे हैं? भाग 1 में। हमने कर्म फल? बंधन? की बात करी। और अब हम आगे बढ़ते हैं? तो अर्जुन जी पूछते हैं कि सांख योगी के द्वारा कर्म किस प्रकार होते हैं? भगवान? तो कहते हैं भगवान? कि? शरीर? इन्द्रियां? और मन? को? वर्ष में किया हुआ सांख योगी? मन से संपूर्ण, कर्मों।

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@PSPV
Prabha Iyer
@PSPV · 1:28
तो बहुत दुख हो जाता है हमें। क्योंकि वो बैड 1 एटमॉस्फियर में फंस जाते हैं फंस जाने की वजह से। वो निर्णय नहीं कर पाते है कि अच्छा क्या है? बुरा? क्या है? अच्छा कौन है? बुरा? बुरे? लोग कौन हैं? और ये बहुत दुख की बात है कि वो अपने को कुंती के पुत्र भी नहीं कह पाते हैं। और कुंती भी। उनको अपना पुत्र नहीं कह पाती है। सिचुएशन? इस वेरी प्रैथटिक? सिचुएशन? फॉर मदर? when she can not let out? her sons? name? in frentofothes⁇m? sorry?
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