@JAISHREEKRISHNA
Vivek Shukla
@JAISHREEKRISHNA · 4:30

श्रीमद भगवद्गीता अध्याय ९०

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अब अर्जुन जी पूछते हैं कि जब देवता महर्षि भी नहीं जानते? तो मनुष्य कैसे जानेगा? और उसका कल्याण कैसे? होगा? तो भगवान कहते हैं जो मनुष्य मुझे, अजन्मा, अविनाशी? और सम्पूर्ण? लोकों का। महान? ईश्वर जानता है? अर्थात? दृष्टा से मानता है? दृढ़ता से मानता है? माफ कीजिएगा? वह मनुष्य में जानकार है? और वह सब पापों से छूट जाता है। आगे कहते हैं भगवान मेरे को दृढ़ता से मानकर? मेरे में ही श्रद्धा, प्रेम, रखते हुए? बुद्धिमान, भक्त?

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@Ayushi-Bharat
Ayushi Bharat
@Ayushi-Bharat · 1:09

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जैसा कि हम युद्ध करते हैं? या युद्ध भूमि में है? तो हमें उनसे लड़ने का व्यय प्राप्त होना चाहिए। तो ये सारी चीजें हमें बताती हैं कि हमें किस प्रकार भगवत गीता का स्मरण करना चाहिए? और किस प्रकार हमें श्री कृष्ण जी के कहे गए। बोल? जो उनने आसन जी को समझाए हैं व उसका आचरण करना चाहिए नमस्कार?
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