जिक्र आया आपका और बात चल निकली जिक्र आया आपका और बात चल निकली आँखों ही आँखों में सारी रात कल निकाले कुछ और ही दिन आपके साथ जो गुजरे कुछ और ही थे दिन आपके साथ जो गुजरे कभी सुरूर कभी गुरूर गजब हालात वो गुजरे और मुलाकात किए बिन चंद लमहात जो गुजरे पर मुलाकात किए बिन चंद लम्हात जो गुजरे था फसल जनाब का की जान चल निकली जिक्र आया आपका और फिर बात चल निकली आँखों की आँखों में सारी रात कल निकाली सांसों की घास पर चले 1 नाम नंगे पांव मेरी सांसों की नर्म घास पर चले 1 नाम नंगे पांव उम्र कटी सास पर जिंदगी धूप कभी छांव सब पोक गया जल कर ये दिल हुआ अलाव सब कुछ भुग गया जलकर ये दिल हुआ अलाव अब ढेर राख का आसमान पे मल निकाली जिक्र आया आपका और बात चल निकली आंखों ही आंखों में सारी रात कल निकले सारी रात कल निकली।

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