@inder
inderjit …
@inder · 1:42

yaad ka sandook

अब भी महफूज मिलता है। खुशबू वही गजल गुनगुनाता है। हसरतों का तराशा। ह्वासोंग। नकाशा पोर्सलिन का। 1 नाजुक। लम्हा। संभली हुई शाम के रेशम में। एहतियात सेलिबेट कर रखा हुआ। 1 पुरानी। याद के संदूक में। जिसकी चाबी। तुम्हारी। आवाज। कसुर है? बोलो? न कभी खोलो? न कभी। चुप की। गिरह के। अपने। जहन की परछती पर। आये। मुझे खुद। सा हो गया। खुद को। सुलझाए।

#love #memory

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